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इससे पहले तो बीरबल की खिचड़ी पक जाए… रातभर पकती है उत्तराखंड की ये दाल, सुबह मिलता है गजब का स्वाद

मध्य प्रदेश के भोपाल के कोर्टयार्ड बाय मैरियट होटल मेंउत्तराखंड फूड फेस्टिवल शुरू हो गया है. आज यानी 16 से 25 मई तक फेस्टिवल का आयोजन चलेगा. इसमें उत्तराखंड के लजीज खानों का स्वाद चखने को मिलेगा. इन्ही में एक व्यंजन ऐसा भी है, जिस बनाने में एक या दो घंटे नहीं बल्कि पूरी रात और दिन में कई घंटों का इंतजार करना पड़ता है. या यूं कहें कि इस डिश के बनने से पहले बीरबल की खिचड़ी बनकर तैयार हो जाए. इस पहाड़ी व्यंजन का नाम है गहत की दाल, जिसे कुलथ की दाल भी कहा जाता है.

गहत की दाल उत्तराखंड के सबसे पुराने और सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है. यह हिमाचल प्रदेश, झारखंड और दक्षिण भारत के कई हिस्सों में उगाई जाती है. गहत की दाल स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होती है.इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. इसको ज्यादातर सर्दियों में खाना पसंद किया जाता है. क्योंकि यह शरीर को गर्म रखने और सर्दी-खांसी से बचाने में मदद करती है.

पानी में डाल भिगोई जाती है रात भर

भोपाल में शुरू हुए फूड फेस्टिवल में पहाड़ी व्यंजनों का लुत्फ शाम 7 से रात 11 बजे तक उठाया जा सकता है. यहां सेफ शंकर और सेफ जितेन्द्र पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद बिखेरेंगे. उन्होंने गहत की दाल को लेकर बताया कि यह एक औषधीय भोजन के रूप में भी काम करती है. इसे बनाने के लिए कई घंटे लगते हैं. उन्होंने बताया कि गहत की दाल को बनाने से पहले इसे रात भर पानी में भिगोया जाता है. उसके बाद अगले दिन इसे बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है.

फिर ऐसे की जाती है तैयार

गहत की दाल को रात भर भिगोने के बाद उसके पानी को अलग कर दिया जाता है. उसके बाद उसे प्रेशर कूकर में डालकर पानी और बाके मसाले मिक्स किए जाते हैं. 3 से 4 सीटी तक उसे पकाने के बाद उसे देख लिया जाए कि वह मुलायम हुई. उसे नरम या मुलायम होने तक पकाया जाए. उसके बाद अगली प्रक्रिया में एक कढ़ाई में तेल गरम कर उसमें जीरा, लहसुन और अदरक डालें और कुछ सेकंड के लिए भूनें. प्याज डालें और सुनहरा भूरा होने तक भूनें. हींग और गंड्रीन डालें फिर उसमें पका हुआ गहत और उसका पानी कढ़ाई में डालें और उबाल आने दें. उसके बाद वह पक कर तैयार हो जाती है.