झारखंड एसीबी की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए IAS विनय चौबे और संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया है। एसीबी की टीम ने विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को न्यायालय के समक्ष पेश किया। जिसके बाद दोनों को 3 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेजा है। इनदोनों पर पद का दुरुपयोग करते हुए प्लेसमेंट एजेंसी का चयन मे गरबरी झारखण्ड सरकार को 30 करोड़ का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
क्या है आरोप
दोनों पर आरोप है की साल 2022 में झारखंड में बनी नई शराब नीति के तहत 2022 मे कुछ ऐसे बदलाव किये गए जिससे छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट से जुड़े सदस्य को बड़ा मुनाफा मिला, छत्तीसगढ़ के अधिकारी और व्यापारी मिलकर झारखंड में शराब की सप्लाई, काम करने वाले लोगों की व्यवस्था और होलोग्राम सिस्टम के ठेके हासिल किए। जिससे झारखण्ड राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ और अवैध कमाई हुई।
छत्तीसगढ़ मे दर्ज है मामला
छत्तीसगढ़ की ACB ने 27 सितंबर 2024 को एफआईआर दर्ज की, जिसमें विनय चौबे सहित सात लोगों के नाम थे। इसके बाद ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में कई जगह छापा मारा और दस्तावेज जब्त किए। अब छत्तीसगढ़ की एसीबी ने झारखंड सरकार से विनय चौबे और गजेंद्र सिंह के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी मांगी है। रांची के रहने वाले विकास कुमार की शिकायत पर सात सितंबर 2024 को रायपुर में IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत FIR दर्ज की गई थी, जिसमें झारखंड के IAS विनय चौबे और छत्तीसगढ़ के एक सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनिल टुटेजा का भी नाम शामिल था। एसीबी ने इस मामले में 09/25 धारा 120बी भादवी r/w section 420/467/468/471/409/407/109 of IPC (corresponding Section of BNS Sec 61(2) r/w Section 318/336/340/316/45 & 49) and Section 7(c)/12, Section 13(2) r/w 13(1)(a) of PC ACT 1988 (Amended in 2018) के तहत दर्ज किया है। इस मामले में विनय चौबे, गजेंद्र सिंह समेत अन्य के खिलाफ दर्ज किया गया है।