बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गठजोड़ बनाने का सिलसिला जारी है. असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई में AIMIM लंबे समय से इस कोशिश में थी कि वह बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की अगुवाई वाले महागठबंधन का हिस्सा बन जाए. लेकिन पार्टी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकी. अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि RJD और कांग्रेस ने असदुद्दीन ओवैसी के बगैर इस बार भी बिहार की चुनावी वैतरणी को पार करने का फैसला लिया है.
असदुद्दीन ओवैसी ने साल 2020 के चुनाव में भी RJD और कांग्रेस के साथ बिहार में आगे बढ़ने की योजना बनाई थी, लेकिन तब भी उसे साथ नहीं रखा गया था. ओवैसी अभी भी देश में सेकुलर कही जाने वाली पार्टियों के लिए अछूत बनी हुई है. यह स्थिति तब है जब ओवैसी ने पिछले कुछ महीनों में अपनी छवि काफी बेहतर की है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ओवैसी ने पाकिस्तान की जमकर आलोचना की और उनकी पहचान बड़े देशभक्त के रूप में बनी. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर वो कब तक सेकुलर दलों के बीच अछूत बने रहेंगे.