Local & National News in Hindi
ब्रेकिंग
बाढ़ में पिता की मौत, मां-दादी भी लापता… कौन है 10 महीने की नीतिका, जो हिमाचल की बनी चाइल्ड ऑफ द स्ट... जवानों की बड़ी राहत, ऑपरेशन में घायलों को भी मिलेगी फुल सैलरी, प्रमोशन भी पा सकेंगे, गृह सचिव का ऐला... भारत तो भारत है, इसका अनुवाद न हो… इंडिया vs भारत पर मोहन भागवत ने समझा दिया मूलमंत्र आवारा कुत्तों से शहर परेशान, बच्चे चुका रहे कीमत… रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान हम दुश्मन नहीं, केंद्र ने क्रिकेट खेलने का फैसला अच्छा किया… महबूबा मुफ्ती का छलका पाकिस्तान प्रेम जम्मू-कश्मीर: श्रीनगर में सेना का ‘ऑपरेशन महादेव’, 3 आतंकियों को किया ढेर, पहलगाम हमले के हो सकते है... बंगालियों को किया जा रहा परेशान… ममता बनर्जी ने कहा- दिल्ली पुलिस ने महिला और बच्चे से की मारपीट ‘डेरिंग दादी’ का कारनामा तो देखिए; 8 फीट लंबे सांप को यूं दबोचा, फिर गले में लपेट लिया बिहार में जिन लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटे उनके पास अब क्या विकल्प? 1 अगस्त से कैसे जुड़वा पाएं... जिसमें फैसले लेने की क्षमता उसे ही सर्वदलीय बैठक में भेजा करें… संसद में विपक्ष का हंगामा, अखिलेश या...

बागेश्वर धाम का वो मंदिर जहां आज तक नहीं जला कोई बल्ब… जलाते ही हो जाता है फ्यूज!

बागेश्वर धाम सरकार के मंदिर की चर्चा देश-विदेश में होती है. सदियों पुराना ये मंदिर पहली बार साल 2012 में चर्चा में आया और इसका प्रचार-प्रसार लगभग 2016 में हुआ. बागेश्वर धाम में जब आप बालाजी हनुमान के दर्शन के लिए जाते वक्त परिक्रमा मार्ग में एक मंदिर आता है. इस मंदिर को धाम की नींव माना जाता है. यह मंदिर महादेव का है और उनका नाम है बागराज महाराज.

आज भी इस मंदिर के गर्भ गृह में पूजा की जाती है. इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां और किस्से यहां के आम लोगों की जुबान पर हैं. उनका मानना है कि ये कोई आम तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि एक सिद्ध स्थान है जिसे संन्यासी बाबा नाम के एक संत ने अपनी तपस्या से सिद्ध किया था. वह इस शिवलिंग की रोज पूजा करते थे और यहीं उन्होंने सिद्धियों को प्राप्त किया था. वो यहीं से आम लोगों का कल्याण करते थे.

मंदिर में आज तक नहीं जला बल्ब

इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1986 में किया गया. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां में श्रद्धा के दीपक के अलावा कोई अन्य वस्तु उजाला नहीं कर सकती यानी सिर्फ और सिर्फ दिए की रोशनी या भगवान सूर्य का प्रकाश ही इस मंदिर को प्रकाशित कर सकता है. इस मंदिर में आज तक कोई बल्ब नहीं लगाया गया है.

इसके गर्भ गृह में जब भी बल्ब लगाने का प्रयास किया गया तो वह फ्यूज हो गया. माना जाता है कि भगवान उसे स्वीकार नहीं करते. लोगों का मानना है कि ऐसा नहीं कि गर्भ गृह में बल्ब लगाने का प्रयास नहीं किया गया. जब भी इस मंदिर में बल्ब लगाया गया तो जलाते वक्त वह फ्यूज हो गया.

इस मंदिर को क्यों कहते थे बागराज महाराज

लोगों का कहना है कि 300 साल पहले इस मंदिर की नींव रखी गई थी, तब ये जंगलों से घिरा था. यहां अकसर बाघ आ जाया करते थे. यही कारण था कि यहां विराजने वाले महादेव को बागराज महाराज का नाम दिया गया. आज भी ये मंदिर लोगों की आस्थास्थली है. भक्तों का कहना है कि यहां मांगी उनकी हर मुराद पूरी होती है. इस मंदिर में आज भी संन्यासी बाबा जल चढ़ाने आते हैं.