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जेलों में बढ़ता कट्टरपंथ बनी चुनौती, सरकार ने सभी राज्यों को दिए ये निर्देश

गृह मंत्रालय ने जेलों में बढ़ते कट्टरपंथ को गंभीर चुनौती मानते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजकर जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. भेजे गए लेटर में कैदियों की समय-समय पर निगरानी उनके संदिग्ध गतिविधियों में शामिल और जोखिम वाले व्यक्तियों की ज्यादा निगरानी पर जोर दिया गया है. इस लेटर में जेल के अंदर मौजूद सामाजिक अलगाव, निगरानी की कमी से कट्टरपंथ बढ़ने का खतरा, कुछ मामलों में कैदियों के जेल के कर्मचारियों या अन्य कैदियों पर हमला करने की योजना को बढ़ावा मिलने का जिक्र किया गया है.

इसमें कहा गया है कि, कैदियों की स्क्रीनिंग में मानसिक, सामाजिक व स्वास्थ्य मूल्यांकन भी शामिल किया जाएगा. कट्टरपंथ को रोकने के लिए काउंसलिंग, शिक्षा और पुनर्वास कार्यक्रम पर ध्यान दिया जाएगा.

गृह मंत्रालय ने पत्र किन-किन सुधारों का उल्लेख किया?

1: कट्टरपंथ को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने पर जोर दिया गया.

2: कैदियों की स्क्रीनिंग और जोखिम मूल्यांकन अनिवार्य बताया गया है.

3: उच्च जोखिम वाले कैदियों को सामान्य कैदियों से अलग रखने के निर्देश दिए गए हैं.

4: यह चेतावनी दी गई कि, जेलों में अलगाव और निगरानी की कमी कट्टरपंथ को बढ़ा सकती है, जिससे कि कुछ कैदी हिंसा की योजना बना सकते हैं.

5: कट्टरपंथी कैदी जेल के स्टाफ, कैदियों या बाहरी लोगों पर हमला कर सकते हैं, मंत्रालय ने इसे आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माना है.

6: पत्र में कट्टरपंथी विचारधारा को पहचानने के लिए व्यवहार आधारित प्रणाली बनाने की बात कही गई है. हर कैदी का समय-समय पर मूल्यांकन करने का सुझाव दिया गया है.

7: उच्च सुरक्षा वाले विशेष जेल परिसर बनाने पर विचार करने को कहा गया. जेलों में निगरानी उपकरण और खुफिया नेटवर्क मजबूत करने की आवश्यकता जताई गई.

8कैदियों और परिवार के बीच संपर्क बनाए रखना जरूरी बताया गया है. यह कदम पुनर्वास प्रक्रिया को भी बेहतर बना सकते हैं.

9: कट्टरपंथ को रोकने से हिंसक उग्रवाद का खतरा कम होगा, राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए यह जरूरी कदम बताया गया.

10जेलों को केवल दंडस्थल नहीं बल्कि सुधार स्थल बनाने पर जोर दिया. इससे समाज की मुख्यधारा से जुड़ाव की संभावना बढ़ेगी. कट्टरपंथ पर रोकथाम के लिए सभी राज्यों से ठोस योजना लागू करने की अपील की गई है.

जेल से छूटने के बाद भी समाज से दोबारा से जुड़ने के लिए फॉलोअप निगरानी सिस्टम पर काम करना होगा, गृह मंत्रालय ने कहा की इन सुधारा उपायों और व्यावहारिक पुनर्वास से चरमपंथ की मानसिकता को बदला जा सकता है.