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एक क्लिक और 10 हजार खाते में देखकर गंवा दिए 16 लाख, ठगी की ये कहानी दिमाग घुमा देगी

उत्तर प्रदेश के अमेठी में एक युवक ने मोबाइल पर आए लिंक पर क्लिक किया. इसके बाद उसके खाते में 10 हजार रुपये आए. फिर कुछ ही सेकंड में उसके खाते से 15,84,100 रुपए निकल गए. यानी सोशल मीडिया पर आए लिंक को क्लिक करना युवक को भारी पड़ गया. युवक ने पुलिस में शिकायत की. शिकायत के बाद पुलिस की साइबर टीम ने सक्रियता दिखाई और हैक कर पैसे उड़ाने वाले आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

घटना अमेठी जिले के रामगंज थाना क्षेत्र की है. मामला भी साल 2024 यानी एक साल पुराना है. पीड़ित आशीष सिंह अमेठी के अग्रेसर त्रिशुंडी गांव के रहने वाले हैं. साल 2024 के अगस्त महीने में उन्हें फेसबुक पर एक लिंक मिला. आशीष ने लिंक को ओपन किया. लिंक खोलने के बाद उनके वॉट्सएप पर एक मैसेज आया. इसका रिप्लाई करते ही टेलीग्राम की एक लिंक प्राप्त हुआ.

लालच में फंसा

इसमें आशीष से कुछ सवाल पूछे गए. जवाब देते ही पीड़ित को 10 हजार रुपए मिल गए. खाते में पैसा आता देख पीड़ित के मन में लालच आया. उसने फिर से वही प्रक्रिया दोहराया. इस प्रक्रिया के पूरा होते ही उसके खाते से करीब 16 लाख रुपये गायब हो गए. ये पैसे अलग-अलग खातों में जमा हो गए. खाते से पैसे निकलने पर आशीष सिंह के पैरों तले जमीन खिसक गई. पीड़ित ने थाने जाकर शिकायत की, जिसके बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया.

हैकरों की हुई गिरफ्तारी

साइबर सेल और लखनऊ एसटीएफ के सहयोग से जांच पड़ताल शुरू की गई. साइबर सेल प्रभारी राजेश सिंह ने बताया कि इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार युवकों में शिवांश मिश्रा और रवि सिंह, दोस्त हैं और उमाशंकर तिवारी, शिवांश मिश्रा के मामा हैं. वर्तमान समय में शिवांश मिश्रा और रवि सिंह, भाभा यूनिवर्सिटी भोपाल से बीफार्मा की पढ़ाई कर रहे हैं. साल 2023 में शिवांश मिश्रा और रवि सिंह, भोपाल के कॉल सेन्टर आईजीटी सैल्युशन में नौकरी करते थे.

किराए पर लिए जाते थे खाते

इसी कॉल सेंटर में शिवांश मिश्रा और रवि सिंह की जान-पहचान जुबेरखान से हुई थी. जुबेरखान ने सैफखान से मिलवाया था. सैफखान ने ही शिवांश मिश्रा और रवि सिंह की मुलाकात अनिल नायक से कराई थी. अनिल नायक बैंक खाते किराये पर लेता था. प्रत्येक बैंक खाते की किट (एटीएम कार्ड, पासबुक, चेकबुक, बैंक खाते से रजिस्टर्ड सिमकार्ड, इंटरनेट बैकिंग का आईडी पासवर्ड और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी) 15,000 रुपये में और उन बैंक खातों में जो भी रुपये आते थे उसका भी कमीशन देता था.

कैसे चलता था गैंग?

सभी आरोपी मध्य प्रदेश के शहडोल के रहने वाले हैं. शिवांश मिश्रा, उसके मामा उमाशंकर तिवारी, रवि सिंह और दिव्यांशू मिश्रा उर्फ रग्घू मिलकर ठगी का काम करते थे. ये लोगों से उनकी आईडी और कुछ एक मामलों में फर्जी कागज तैयार करके विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाते थे. बैंक खाता खुल जाने पर उस खाते की किट अनिल नायक व उसके भाई अमित नायक को देते थे. इस किट में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी होती थी. इसके बदले उसे हर एक किट के लिए 15 हजार रुपये मिलते थे. ये पैसे अनिल और अमित उसे दिया करते थे.

ठगी के लिए मिले थे 50 खाते

अमित नायक और अनिल नायक साइबर ठगी/टास्क फ्रॉड का रुपया बैंक खातों में जमा कराते थे. इन बैंक खातों में ठगी से जो रुपया आता था, उसे ये लोग एटीएम कार्ड और चेक के माध्यम से कैश में निकाल कर अनिल नायक और अमित नायक को देते थे. इसके बदले इनको कमीशन मिलता था. इन लोगों ने लगभग 50 बैंक खाते पिछले एक साल में अनिल नायक व अमित नायक को उपलब्ध कराए गए थे. गिरफ्तार अभियुक्तों द्वारा दी गयी जानकारी के माध्यम से गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं.