Local & National News in Hindi
ब्रेकिंग
डोनाल्ड ट्रंप में चाचा चौधरी जैसे गुण… मनोज झा ने कहा- अमेरिकी राष्ट्रपति को सदी का सबसे बड़ा झूठा क... कहां से लाते हैं ऐसे लेखक… जब सिंदूर ही उजड़ गया फिर ऑपरेशन का नाम सिंदूर क्यों? संसद में जया बच्चन ... मेले से लड़कियों की किडनैपिंग का था प्लान, उठाने आए तो बच्चियों ने कर दिया हमला… ऐसे बचाई खुद की जान बाराबंकी: हाइवे किनारे मिला महिला पुलिसकर्मी का शव, चेहरे पर डाला हुआ था तेजाब… जांच में जुटी पुलिस ‘कोई छिपा हुआ कक्ष नहीं’… जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार पर ASI का बयान, बताया- जीर्णोद्धार में क्या-क्... घर में घुसा बदमाश, युवती पर छिड़का पेट्रोल और… रांची में मचा हड़कंप फार्मासिस्ट बोला- मुझसे शादी करोगी? नर्स भी मान गई, दोनों के बीच बने संबंध… फिर लव स्टोरी का हुआ दर्... कैसा होगा UP का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन? यात्रियों को मिलेंगी वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मनसा देवी भगदड़ में घायल महिला की मौत, इलाज के दौरान तोड़ा दम; मरने वालों की संख्या बढ़ी वीकेंड पर दिल्ली में होगी भयंकर बारिश, जानें अगले 5 दिनों तक कैसा रहेगा मौसम?

ईद से पहले कर्मचारियों को निकालना अमानवीय… LG के एक्शन पर बोलीं महबूबा मुफ्ति

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों और उनके मददगारों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है. इसी कड़ी में सूबे के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार (3 जून) को आतंकवाद से जुड़े होने के आरोप में तीन सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (HM) के लिए काम कर रहे थे.

जिन कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया था, उनमें मलिक इशफाक नसीर, जो पुलिस में कांस्टेबल थे, एजाज अहमद, जो स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक थे, और वसीम अहमद खान, जो सरकारी मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर में जूनियर असिस्टेंट थे. वहीं उपराज्यपाल की इस कार्रवाई पर जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने नाराजगी जाहिर की है.

‘कर्मचारियों को निकालना अमानवीय’

मुफ्ती का कहना है कि ईद के पवित्र त्योहार से पहले तीन सरकारी कर्मचारियों को आतंकवाद से कथित संबंधों के कारण नौकरी से निकाल दिया गया, जिससे उनके परिवार संकट में हैं. पीडीपी प्रमुख ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने कहा ‘ ईद के त्योहार से पहले तीन सरकारी कर्मचारियों को निकालना अमानवीय है. उन्होंने कहा कि 2019 से सैकड़ों कर्मचारियों को बिना किसी सुनवाई के केवल तथाकथित आतंकवाद से जुड़ाव के अप्रमाणित आरोपों के आधार पर बर्खास्त कर दिया गया है.

‘स्थायी शांति का रास्ता ऐसे नहीं निकलता’

मुफ्ती ने कहा कि यह कठोर दृष्टिकोण सामान्य स्थिति का दिखावा कर सकता है, लेकिन लोगों को पीड़ा देकर वास्तविक स्थायी शांति हासिल नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि ये तरीक लोगों के मन में और ज्यादा असंतोष पैदा करेगा. स्थायी शांति का रास्ता ऐसे नहीं निकलता. वहीं सूबे की उमर सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से निर्वाचित सरकार मूकदर्शक की तरह अविचलित होकर सब कुछ देखती रहती है.

संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहतकार्रवाई

बर्खास्त किए गए तीनों कर्मचारियों के खिलाफ यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत की गई है, जो सरकार को ऐसे मामलों में जांच के बिना सीधे बर्खास्त करने का अधिकार देता है. इसके तहत अगर कोई कर्मचारी सरकारी संस्थानों में आतंकवाद को बढ़ावा देने शामिल है और वह प्रशासन की चल रही कार्रवाई का हिस्सा है, तो उसके खिलाफ सबूत मिलने पर सरकार को सख्त कदम उठाने अधिकार है.