मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेप पीड़िताओं के हित में एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने कोर्ट डीजीपी यानी कि डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को निर्देश दिए हैं कि दुष्कर्म की शिकायत प्राप्त होने के बाद पीड़िता की मेडिकल जांच के दौरान ही अनिवार्य रूप से प्रेग्नेंसी टेस्ट भी कराया जाए. हाईकोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक चरण में गर्भावस्था की जानकारी मिलने से समय रहते गर्भपात जैसे निर्णय लिए जा सकते हैं, जिससे पीड़िता की जान बचाई जा सकती है.
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि गर्भवती पीड़िता और उसके अभिभावकों की मंशा यदि गर्भपात कराने की हो तो देर करना उनकी जान के लिए घातक साबित हो सकता है. जिसमें खासतौर से नाबालिग पीड़िताओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान रखते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.