जम्मू-कश्मीर में शहीद दिवस को लेकर शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. प्रशासन ने कई नेताओं को नजरबंद तो कई नेताओं को गिरफ्तार किया था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को कथित तौर पर फातिहा पढ़ने से रोका गया था. हालांकि वे रोके जाने के बाद, मज़ार-ए-शुहादा की चारदीवारी फांदकर फातिहा पढ़ने चले गए. इस दौरान उनकी और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हो गई.
सीएम ने आरोप लगाया कि मुझे पुलिस की तरफ से शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया, लेकिन मैं दृढ़ था और रुकने वाला नहीं था. मैं कोई गैरकानूनी काम नहीं कर रहा था. इन “कानून के रक्षकों” को यह स्पष्ट करना होगा कि किस कानून के तहत उन्होंने फातिहा पढ़ने से हमें रोकने की कोशिश की. यह घटना पुलिस की मनमानी और धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का एक स्पष्ट उदाहरण है. यह अनुभव बहुत ही कष्टदायक और निराशाजनक रहा है. सीएम ने पुलिस पर हाथापाई के आरोप भी लगाए हैं.