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क्या चीन का व्यक्ति बन सकता है दलाई लामा का उत्तराधिकारी? खुद धार्मिक गुरु ने दिया जवाब

दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन होगा? इस सवाल के जवाब पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. हालांकि, खुद दलाई लामा ने हिमाचल प्रदेश में धार्मिक नेताओं की एक बैठक की और कहा कि ‘मैं पुष्टि करता हूं कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी’. यानी दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव भी उनकी संस्था ही करेगी. हालांकि, चीन का कहना है कि अगला दलाई लामा वो अपनी मर्जी से चुनेगा.

दरअसल चीन बौद्ध भिक्षुओं के प्रमुख के तौर पर खुद का आदमी रखना चाहता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चीन का व्यक्ति दलाई लामा का उत्तराधिकारी बन सकता है? इसका जवाब दलाई लामा ने अपनी किताब में दिया है. उन्होंने अपनी किताब ‘Voice for the voiceless’ में लिखा है कि उनके उत्तराधिकारी की पहचान करने का अधिकार सिर्फ भारत स्थित उनके कार्यालय “गदेन फोड्रांग ट्रस्ट” के पास है.

उनकी ये किताब साल 2025 में छपी है. इसमें उन्होंने आगे लिखा है कि उत्तराधिकारी का जन्म चीन के बाहर होगा. ताकि चीन सरकार उन्हें कठपुतली न बना सके. दलाई लामा ने कहा है कि उनके उत्तराधिकारी का जन्म एक स्वतंत्र देश में होगा.

अमेरिका का भी मिला साथ

भारत में एक लाख से ज्यादा तिब्बती बौद्ध रहते हैं. तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद भारत ने दलाई लामा को शरण दी थी. वह तिब्बती सरकार को धर्मशाला से काम करने की अनुमति भी देता है और हमेशा से सहयोग किया है. इस बीच अमेरिका ने भी तिब्बती लोगों की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है.

अमेरिका ने तिब्बती लोगों के मानवाधिकार के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है और कहा कि वह चीन को उत्तराधिकारी चुनने की अनुमति नहीं देगा. 2024 में बाइडेन ने भी एक कानून पर हस्ताक्षर करते हुए चीन को तिब्बत से जुड़े विवाद को हल करने के लिए दबाव डाला था.

चीन को क्या दिक्कत है?

चीन का कहना है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने का अधिकार उसे विरासत में मिला है. दलाई लामा के पुनर्जन्म का फैसला राष्ट्रीय कानून के तहत किया जाना चाहिए. हालांकि चीन के इस चयन प्रकिया को तिब्बती लोग एक चाल मानते हैं.

हालांकि, तिब्बत पर अपनी मजबूत पकड़ के लिए चीन किसी भी तरह से दलाई लामा के चुने जाने का अधिकार अपने पास रखना चाहता है. इसको लेकर दलाई लामा ने अपनी किताब में कहा है कि तिब्बत के लोग किसी के द्वारा अपने फायदे के लिए चुने गए उम्मीदवार को स्वीकार न करें.