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कोई टॉप वकील, कोई इतिहासकार तो कोई रहा विदेश सचिव… कौन-कौन हैं राज्यसभा के लिए मनोनीत 4 सदस्य

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत की संसद में उन चार हस्तियों को मनोनीत किया है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है. राज्यसभा में मनोनीत हुए सदस्य वकील उज्जवल निकम ने मुंबई हमले से लेकर न जाने कितने आपराधिक मामलों में न्याय दिलाया हैं. देश-विदेश में भारत का नाम रोशन करने वाले पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, सामाजिक कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले सदानंदन मास्टर और शिक्षा के क्षेत्र में निपुण मीनाक्षी जैन को राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(3) ने राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया है कि वह राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकता है. राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य कला, साहित्य, विज्ञान, सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में निपुण होते हैं. इन सदस्यों को चुनने का उद्देश्य होता है कि उनके समझ और कौशल का लाभ सदन को मिल सके.

अजमल कसाब जैसे कई हाई प्रोफाइल केस लड़ चुके हैं निकम

राज्यसभा में अपनी दक्षता के आधार पर मनोनीत हुए सदस्य उज्जवल निकम पेशे से सरकारी वकील हैं. यह वही वकील हैं उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमला करने वाले अजमल कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाया. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐसे आतंकवाद और हत्याकांड के केस लड़े, जिनमें आरोपी को सजा दिला पाना बहुत मुश्किल होता है. इन्होंने न सिर्फ अजमल कसाब को सजा दिलवाई बल्कि 1993 मुम्बई बम ब्लास्ट, गुलशन कुमार हत्या, कोपार्दी बलात्कार-हत्या कई हाई-प्रोफाइल केसों में अभियोजन कर अपराधियों को सलाखों के पीछे करवाया.

उज्जवल निकम को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उन्हें Z+ श्रेणी की सुरक्षा दी है. 2024 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी जॉइन की. हाल ही में राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया. अब वह संसद के गलियारों में भी विधि और न्याय की आवाज बनेंगे.

महाराष्ट्र के जलगांव में जन्में उज्जवल निकम ने विधि की रक्षा करना विरासत में सीखा हैं. निकम के पिता देवराजी निकम पेशे से न्यायधीश और बैरिस्टर थे. इनके बेटे अनिकेत निकम भी मुंबई हाईकोर्ट में क्रिमिनल वकील के पद पर कार्यरत हैं. निकम ने अपने पेशे की शुरुआत जिला अभियोजक के रूप में की थी. वह अपने तीस साल के करियर में 600 से अधिक आजीवन कारावास और 25 से अधिक मृत्यूदंड के अपराधियों को सजा दिला चुके हैं.

हर्षवर्धन श्रृंगला ने विदेशों में बढ़ाई भारत की शान

हर्षवर्धन श्रृंगला भारतीय विदेश सेवा के एक सीनियर भारतीय राजनयिक हैं. वह 1984 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए और 38 वर्षों तक देश की सेवा की. इन्होंने कई देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड में भारत के राजदूत के रूप में कार्यभार संभाला. उन्हें कूटनीति यानी देश के लिए दूसरे देशों से अच्छे रिश्ते बनाने का लंबा अनुभव है. वह अंग्रेजी और कई भारतीय भाषाओं के अलावा फ्रेंच, वियतनामी, नेपाली भाषा के भी जानकार हैं.

2020 को श्रृंगला ने 33वें विदेश सचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया था, जो विदेश मंत्रालय का सबसे बड़ा पद होता है. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने ‘हाउडी मोदी’ जैसे बड़े आयोजन में अपनी भूमिका निभाई. विदेश सचिव के पद से सेना आवृत्ति होने के बाद श्रृंगला को 2023 में भारत में हुई जी 20 शिखर अध्यक्षता के लिए मुख्य समन्वयक नियुक्त किया गया.

मुंबई में जन्में श्रृंगला को पढ़ने में काफी रुचि है. इसके अलावा उन्हें हॉकी खेलना और पर्वतो पर घूमने का भी बहुत शौक है. श्रृंगला के पिता भी प्रशासनिक सेवा में थे.

1994 की घटना के बाद सदानंदन मास्टर का बदल गया जीवन

सदानंदन मास्टर पेशे से एक शिक्षक हैं. वह 1999 से 2020 तक केरल के एक विद्यालय में लंबे समय से सामाजिक विज्ञान के अध्यापक रहे. इसके अलावा वे केरल में राष्ट्रीय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष और राजनीति में भी काफी सक्रिय हैं. 1994 में कन्नूर में उनके घर पर हमला हुआ. इस हमले में उन्हें अपने दोनों पैर गंवाने पड़े. उन्होंने अपने एक बयान में कहा था घर में जश्न का माहौल चल रहा था, 6 फरवरी को मेरी बहन की सगाई थी और 25 जनवरी को ही अचानक किसी ने उनके ऊपर हमला कर दिया जिसमें उन्हें अपने दोनों पैर गंवाने पड़े थे. उन्होंने बताया कि तब उनकी उम्र केवल 30 वर्ष की थी. बताया जाता है कि यह हमला कम्युनिस्ट पार्टी माकपा के कुछ लोगों ने करवाया था. इस हमले के बाद वह राजनीति में पूर्ण रूप से सक्रिय हो गए. साल 2021 में बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया था.

सदानंदन मास्टर के साथ-साथ उनकी पत्नी भी पेशे से शिक्षक हैं. उनकी बेटी ने बीटेक की पढ़ाई की है. सदानंद मास्टर आरएसएस की विचारधारा से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने 12 साल की उम्र में ही आरएसएस ज्वाइन कर ली थी.

शिक्षा के क्षेत्र में निपुण है मीनाक्षी जैन

राज्यसभा में मनोनीत हुई मीनाक्षी जैन एक भारतीय राजनीति शास्त्र और इतिहासकार हैं. जैन पेशे से एक प्रोफेसर हैं. उन्होंने जिस विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण दी, उसी में उन्होंने प्रोफेसर के तौर पर सेवा दी. जैन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर के तौर पर काम किया है. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्रदान की.

मीनाक्षी जैन को 2014 में भारत सरकार द्वारा भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया गया. 2020 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया.

मीनाक्षी ने द्वारा लिखे गए कई लेख और पुस्तकें प्रकाशित हुए, जिनमें औपनिवेशिक भारत में सती प्रथा, हाई स्कूल में पढ़ाई जाने वाली पुस्तक मध्यकालीन भारत, राजा-मुंजे समझौता, राम के लिए युद्ध आदि ऐतिहासिक पुस्तकें शामिल हैं. मीनाक्षी जैन के पिता गिरिलाल जैन टाइम्स ऑफ इंडिया के पूर्व संपादक और पत्रकार हैं.