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इजराइल की मदद करते-करते खाली हो रहा अमेरिका, नए हथियारों में लगेगा इतना समय और पैसा

ईरान-इजराइल के बीच 12 दिन चली जंग को खत्म हुए भले ही एक महीना बीत गया हो, मगर इससे जुड़े नुकसान की रिपोर्ट्स अब सामने आने लगी हैं. इस जंग में सिर्फ ईरान इजराइल का ही नुकसान नहीं हुआ है. इजराइल का सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका भी भारी नुकसान झेल चुका है. जंग के आखिरी दिनों में अमेरिका ने खुलकर इजराइल का साथ दिया, ईरान पर बम बरसाए और अपने एडवांस्ड इंटरसेप्टर सिस्टम तैनात किए.

लेकिन वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट्स में सामने आ रहा है कि इस मदद की कीमत अमेरिका को कितनी भारी पड़ी है. इजराइल को ईरान की मिसाइलों से बचाते-बचाते अमेरिका ने अपने मिसाइल भंडार का एक बड़ा हिस्सा झोंक दिया. करीब 25% इंटरसेप्टर मिसाइलें खर्च हो गईं. और अब उन्हें दोबारा तैयार करने में लगेगा कम से कम एक साल और खर्च होंगे करीब 2 अरब डॉलर.

अमेरिका ने हर तरह की मिसाइलें झोंक दीं

रिपोर्ट के मुताबिक इसमें मुख्य रूप से THAAD (Terminal High Altitude Area Defense) सिस्टम की दो बैटरियां शामिल थीं, जिनकी भरपाई अब बेहद खर्चीली और समय लेने वाली होगी. इजराइल की हिफाजत में THAAD के अलावा 80 SM-3 इंटरसेप्टर और SM-2, SM-6 जैसी महंगी मिसाइलें भी इस्तेमाल की गईं. इनके दाम चौंकाने वाले हैं. मिसाल के तौर पर SM-2 की कीमत 2.1 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट है, SM-6: 3.9 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट, SM-3 Block IB: 9.7 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट. इससे ये साफ होता है कि कम समय में ही अमेरिका ने अरबों डॉलर के हथियार इजराइल की सुरक्षा में खर्च कर दिए.

हूती हमलों से पहले ही थक चुका है अमेरिका

ईरान-इजराइल तनाव से पहले भी अमेरिका रेड सी में हूती विद्रोहियों के खिलाफ अपने सैकड़ों इंटरसेप्टर मिसाइलें झोंक चुका था. इस पूरे अभियान में अमेरिका के SM-2, SM-3 और SM-6 वर्ज़न काफी मात्रा में खर्च हुए. अब हालत ये है कि अगर ईरान दोबारा इजराइल पर मिसाइलें बरसाता, तो इजराइल के पास मौजूद Arrow-3 जैसे इंटरसेप्टर भी खत्म हो जाते.

पैट्रियट मिसाइल दागना अमेरिका को महंगी पड़ी

ईरान की ओर से जून 21 की रात अल उदीद एयरबेस (कतर) पर किए गए जवाबी हमले में अमेरिका को भारी मात्रा में पैट्रियट मिसाइलें खर्च करनी पड़ीं. वहीं अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर जवाबी हमले में 30,000 पाउंड वजनी बंकर-भेदी बम और 2 दर्जन से ज़्यादा Tomahawk क्रूज मिसाइलें भी दागीं. इजराइल के पास Arrow-2, Arrow-3, और Iron Dome जैसे सिस्टम जरूर हैं, लेकिन वो अमेरिका की मदद के बिना ज्यादा देर तक टिक नहीं सकते.