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भोपाल गैस त्रासदी का 337 टन कचरा नष्ट, 55 दिन में ऑपरेशन हुआ पूरा

इंदौर। पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी के 337 टन कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया रविवार देर रात तक पूरी की गई। बता दें, भोपाल से यूनियन कार्बाइड का कचरा इस वर्ष तीन जनवरी को सुबह चार बजे भोपाल से 12 कंटेनरों में पीथमपुर स्थित रिसस्टेनेबिलिटी कंपनी के भस्मक संयंत्र में पहुंचा था।

ट्रायल रन के तहत पहले 30 टन कचरा जलाया गया। उसके बाद कोर्ट के निर्देश पर पांच मई से 307 टन कचरा जलाने की प्रक्रिया शुरू की गई। जबलपुर हाई कोर्ट ने 70 दिन का समय कचरा नष्ट करने के लिए दिया था, लेकिन 55 दिन में कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई।

भस्मक में यूनियन कार्बाइड का 337 टन कचरा नष्ट करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी संयंत्र को बंद नहीं किया जाएगा। भोपाल से यूका के कचरे के साथ वहां की मिट्टी भी लाई गई थी। इसके अलावा जिस पैकिंग बैग में कचरा रखकर लाया गया था, उसे भी नष्ट किया जाना है। इस तरह मिट्टी व पैकिंग मटेरियल का कचरा करीब 21 टन है। इसे तीन जुलाई तक भस्मक संयंत्र में नष्ट किया जाएगा।

750 टन एकत्र हुई राख, नवंबर में लैंडफिल में रखेंगे

यूका के कचरे को जलाने के दौरान उसके हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए उसमें चूना व सोडियम सल्फाइड भी उतनी ही मात्रा में मिलाया गया है। इस तरह 337 टन कचरे को जलाने के बाद 750 टन राख जमा हुई है। इसे एक-एक टन के एचडीपीई बैग में रखकर लीक प्रूफ स्टोरेज शेड में भस्मक संयंत्र कंपनी के परिसर में रखा जाएगा।

संयंत्र परिसर में जमीन से 1.5 मीटर ऊंचाई पर कचरे को सुरक्षित रखने के लिए लैंडफिल तैयार किया जाना है। हालांकि अभी वर्षा के कारण ज्यादा निर्माण संभव नहीं है। ऐसे में 19 नवंबर तक लैंडफिल तैयार होगा। इसके बाद उसमें राख को रखने की प्रक्रिया शुरू होगी। इस तरह दिसंबर तक यूका कचरे को जलाने के बाद बची राख को लैंडफिल में दबाया जाएगा।