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300 मेगावाट का मसाया सोलर प्लांट सील, आदिवासियों की जमीन पर बिना अनुमति शुरू किया था निर्माण

खंडवा : मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में चल रहे 300 मेगावाट के मसाया सोलर प्लांट पर जिला प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए प्लांट को सील कर दिया है। यह कार्रवाई शुक्रवार देर रात की गई जब कलेक्टर ऋषव गुप्ता द्वारा गठित विशेष जांच दल ने मौके पर पहुंचकर प्लांट को बंद कराया।

क्या है पूरा मामला?

यह प्लांट आदिवासियों की जमीन पर बिना अनुमति और वैधानिक प्रक्रिया के स्थापित किया गया था। जांच में सामने आया है कि मसाया सोलर एनर्जी नामक कंपनी ने ग्राम धरमपुरी, कनवानी, भावसिंगपुरा, बड़गांव माली और सिवना सहित कई गांवों में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के किसानों की ज़मीनें अवैध तरीके से कब्जाई। इसके अलावा शासकीय ज़मीन, नाले, सड़क और चरनोई की जमीन को भी रिकॉर्ड से गायब कर कब्जा कर लिया गया।

बड़ा खुलासा: 3 हजार एकड़ जमीन का भू-माफिया नेटवर्क

सूत्रों के अनुसार, इस पूरे घोटाले के पीछे एक बड़े भू-माफिया ग्रुप की भूमिका सामने आई है जिसने क्षेत्र में करीब 3,000 एकड़ ज़मीन की खरीद की थी। इसी नेटवर्क ने ज़मीनों का बड़ा हिस्सा मसाया सोलर कंपनी को बेच दिया। इस जमीन घोटाले में तत्कालीन राजस्व अधिकारी, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी और कुछ राजनीतिक हस्तियों की मिलीभगत की पुष्टि हुई है। कई अधिकारियों पर रिश्वत लेने और दस्तावेजों में गड़बड़ी कराने के आरोप भी लगे हैं।

बिना अनुमति शुरू हुआ था उत्पादन

कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता ने कहा, “मसाया कंपनी ने वैधानिक अनुमति प्राप्त किए बिना ही आदिवासी किसानों की जमीन पर कब्जा कर सोलर प्लांट लगाकर उत्पादन शुरू कर दिया। यह पूरी तरह अवैधानिक है।

ज़बरदस्ती कब्जे, धोखाधड़ी और डायवर्जन का खेल

अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों से दबाव और धोखाधड़ी से ज़मीन ली गई। मुआवज़ा नहीं दिया गया, बैंक खातों से बिना अनुमति पैसे निकाले गए। कई मामलों में खसरे में नामांतरण नहीं होने के बावजूद, केवल कब्जे के आधार पर औद्योगिक उपयोग के लिए डायवर्जन करा लिया गया। ये सभी कृत्य मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता का स्पष्ट उल्लंघन हैं।

60 एकड़ शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा

जांच रिपोर्ट के अनुसार, मसाया सोलर कंपनी ने 27.64 हेक्टेयर (करीब 60 एकड़) शासकीय भूमि, नालों, सड़कों और जंगलों पर बिना किसी लीज या वैधानिक अधिकार के कब्जा कर रखा है। कलेक्टर ने स्पष्ट किया है कि जब तक वैध लीज या आवंटन की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक प्लांट संचालन पूर्णतः बंद रहेगा।

अधिकारियों पर गिरेगी गाज

 “जिन अधिकारियों की देखरेख में ये अवैध कब्जे हुए, उनके खिलाफ उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। आवश्यकता पड़ने पर उनकी संपत्तियों की भी जांच की जाएगी।”– कलेक्टर ऋषव गुप्ता

सूत्रों के अनुसार कुछ अधिकारियों ने मोटी रकम लेकर दस्तावेज़ों को न सिर्फ पास कराया, बल्कि जाली रिकॉर्ड बनवाकर सरकारी ज़मीन को निजी बता दिया।

किसकी है मसाया सोलर कंपनी?

मसाया सोलर एनर्जी अमेरिका और फिलिस्तीन के दो बिजनेसमैन की ज्वाइंट वेंचर कंपनी है, जिसका हेडक्वार्टर गुड़गांव (हरियाणा) में है। यह प्लांट 2020 में लगना शुरू हुआ था और 2022 से बिना एनओसी के ही बिजली उत्पादन कर रहा था।

कई सवाल जिनका जवाब बाकी

क्या आदिवासियों की जमीनों की सुरक्षा केवल कागजों तक सीमित है?
क्या प्रशासन और राजनीति की मिलीभगत से भू-माफियाओं को खुली छूट दी गई?
क्या दोषी अफसरों और संरक्षक नेताओं पर सख़्त कार्रवाई होगी या मामला दबा दिया जाएगा?