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क्या यही Mother of Democracy है? उमर खालिद को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का पीएम मोदी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से सवाल

कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद के लिए नरम रुख अपनाते दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने उमर खालिद को लेकर पीएम मोदी से सवाल किए हैं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत को लेकर अनुरोध किया है.

दिल्ली में साल 2020 में फरवरी के महीने में दंगे हुए थे, इसी के बाद सितंबर में उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया था. खालिद पर आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी सभा के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत कई अन्य अपराधों का आरोप लगाए गए हैं. 2020 से ही वो जेल में बंद है.

दिग्विजय सिंह ने क्या कहा?

दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, मैं आज भी नहीं जान पाया उमर खालिद का क्या कसूर था? किस से न्याय की उम्मीद करें? माननीय प्रधानमंत्री जी आप से अनुरोध है इस बेकसूर नौजवान के साथ न्याय करिए. माननीय सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध है आप कितनी बार कह चुके हैं Bail is a Right Jail is an Exception फिर उसका पालन क्यों नहीं किया जाता? क्या यही Mother of Democracy है? हे राम.

जेल में 1, 704 दिन पूरे

दिल्ली दंगों की साजिश मामले में आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता और पूर्व जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद ने बुधवार को बिना किसी ट्रायल के जेल में 1,704 दिन पूरे कर लिए है. उमर पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत हत्या, आतंकवाद, उकसावे और राजद्रोह का आरोप है.

जमानत को लेकर पिता ने क्या कुछ कहा

उमर खालिद के पिता एस.क्यू.आर. इलियास ने कहा, अब तक, दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत पर पांच सुनवाई हो चुकी हैं. जमानत के लिए, हमने निचली अदालत में शुरुआत की, फिर हाई कोर्ट, फिर सुप्रीम कोर्ट, जहां नौ महीनों में हमें 14 स्थगन मिले. हम फिर निचली अदालत में वापस गए और अब फिर से हाईकोर्ट में हैं.

इलियास ने कहा, उमर, जिनकी कोई गलती नहीं है, जो दंगों के दौरान दिल्ली में नहीं थे उनको जमानत देने से इनकार कर दिया गया है. जिन लोगों ने जघन्य अपराध किए हैं, उन्हें या तो गिरफ्तार नहीं किया जाता है या तुरंत जमानत पर रिहा कर दिया जाता है.

उन्होंने आगे कहा, उमर पर एक व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होने का आरोप है (जिसने सीएए विरोधी विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी)। जब उनके वकील ने (निचली) अदालत को बताया कि उन्होंने ग्रुप में किसी भी चर्चा में भाग नहीं लिया, तो अभियोजक ने जवाब दिया कि वह मूक दर्शक थे.पिता ने कहा, फिर भी लगभग पांच साल बाद भी, अदालत में आरोप तय नहीं किए गए हैं.