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जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने कर दिया: उद्धव के साथ आने पर बोले राज ठाकरे

महाराष्ट्र के सियासी इतिहास में आज का दिन दर्ज हो गया है. पूरे 20 साल बाद आपसी गिले-शिकवे भुलाकर एक बार फिर ठाकरे बंधुओं की केमिस्ट्री नजर आई है. एक ऐसी तस्वीर नजर आई जिसका किसी को अनुमान भी नहीं था. मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे विक्ट्री रैली में पहुंचे. स्टेज पर आगे बढ़कर दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया और बड़ा सियासी संदेश दे दिया.

मराठी भाषा की अस्मिता को बचाने की इस लड़ाई में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आ गए हैं. फडणवीस सरकार के तीन भाषा नीति पर यू-टर्न लेने के बाद यह विक्ट्री रैली की गई. इस रैली के दौरान जहां एक तरफ राज ठाकरे ने साथ आने को लेकर कहा, जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने कर दिया. वहीं, उद्धव ठाकरे ने कहा, हम एकसाथ आए हैं, साथ रहने के लिए.

20 साल बाद साथ आए ठाकरे भाई

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच साल 2005 में दरार पैदा हो गई थी. इसी के बाद राज ठाकरे ने अपनी अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का निर्माण कर लिया था. इसी के बाद से आज वो दिन दोबारा आया है जब ठाकरे बंधु एक बार फिर साथ नजर आए हैं. इस मौके पर राज ठाकरे ने शनिवार को कहा कि राज्य सरकार की तरफ से लागू किया गया त्रिभाषा फॉर्मूला (तीन भाषा) मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की उसकी योजना का संकेत था.

फडणवीस को लेकर क्या कहा?

राज ठाकरे ने विजय रैली को संबोधित करते हुए मजाकिया अंदाज में कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें और उद्धव को साथ ला दिया है और यह ऐसा काम है जो बालासाहेब ठाकरे भी नहीं कर सके. दो दशक के बाद उद्धव और राज ने सार्वजनिक मंच साझा किया और आवाज मराठीचा नामक विजय सभा का आयोजन किया.

मनसे प्रमुख ने मंच पर बैठे उद्धव के सामने कहा, मराठी लोगों की मजबूत एकता की वजह से महाराष्ट्र सरकार ने त्रिभाषा फॉर्मूले पर फैसला वापस ले लिया. यह फैसला मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की योजना का संकेत था.

“किसी भी झगड़े से बड़ा महाराष्ट्र है”

राज ठाकरे ने आगे कहा, किसी भी झगड़े से बड़ा महाराष्ट्र है. 20 साल बाद उद्धव और राज ठाकरे एक मंच पर साथ है. हिंदी भाषा को लेकर फडणवीस सरकार पर निशाना साधते हुए राज ठाकरे ने कहा, आप हिंदी किसी पर थोप नहीं सकते. भाषा कोई भी हो वो श्रेष्ठ होती है. 150 साल मराठाओं ने भारत पर राज किया. लेकिन उन्होंने किसी पर मराठी नहीं थोपी. साथ ही उन्होंने कहा, नीति लागू करने से भाषा लागू नहीं होती.

राज ठाकरे ने आगे कहा, भाषा के बाद ये आपको जाति में बांटेंगे, लेकिन सफल नहीं होंगे. इसी के साथ उद्धव ठाकरे ने भी दोनों भाइयों के साथ आने पर कहा, हमें नगरपालिका चुनाव का मोह नहीं है, महाराष्ट्र का है.