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भोपाल में 90 डिग्री के ब्रिज के बाद सामने आया खराब इंजीनियरिंग का एक और नमूना… एमपी नगर मेट्रो स्टेशन

 भोपाल। भोपाल के 90 डिग्री ऐशबाग आरओबी की चर्चा अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि खराब इंजीनियरिंग का एक और नमूना सामने आया है। यह मेट्रो का एमपी नगर स्टेशन है, जो इस तरह से बनाया गया है कि सड़क की सतह से मेट्रो स्टेशन के बीच की ऊंचाई इतनी कम हो गई कि यहां से अधिक ऊंचाई वाले भारी वाहनों का निकलना मुश्किल हो गया है।

अब दोनों के बीच की ऊंचाई को निर्धारित करने के लिए चौथी बार सड़क की खोदाई की जा रही है। खोदने से यहां सड़क खाईनुमा हो जाएगी और बारिश के दौरान जलभराव भी होगा। ऐसे में यहां से आवागमन तो बाधित होगा ही हादसों की आशंका बढ़ जाएगी। विशेषज्ञों ने इसको कार्यालय में बैठकर तैयार की गई डिजाइन का नतीजा बताया है।

सुभाष नगर से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन तक मेट्रो रेल लाइन का काम अंतिम चरण में है। यहां पर बचे हुए कार्य किए जा रहे हैं, पर इस मार्ग पर बने एमपीनगर मेट्रो स्टेशन व सड़क की सतह की ऊंचाई को लेकर एक बार फिर से समस्या सामने आई है। खराब इंजीनियरिंग की वजह से मेट्रो स्टेशन और सड़क सतह के बीच की ऊंचाई 5.5 मीटर भी नहीं हो सकी।

जब इसके बारे में अधिकारियों को पता चला तो वे एक साल से गलती सुधारने में जुटे हैं। सबसे पहले यहां खोदाई कर सड़क की सतह को नीचा किया गया, जिससे अधिक ऊंचाई वाले वाहन आसानी से निकल सकें। इसके बाद भी यह संभव नहीं हो सका है तो चौथी बार खोदाई की सड़क की सतह को नीचा कर स्टेशन के बीच की ऊंचाई करीब साढ़े पांच से छह मीटर तक करने का प्रयास किया जा रहा है।

इंजीनियरों की बड़ी लापरवाही से यह स्थिति हुई है निर्मित

टाउन प्लानिंग और स्ट्रक्चर डिजाइनर सुयश कुलश्रेष्ठ का कहना है कि जब से एमपीनगर मेट्रो स्टेशन बनकर तैयार हुआ है, तब से यह समस्या बनी हुई है। सड़क की सतह और मेट्रो स्टेशन के बीच की ऊंचाई करीब छह मीटर होनी चाहिए, तब जाकर भारी और अधिक ऊंचाई वाले वाहन आसानी से निकल सकेंगे। यह इंजीनियरों की लापरवाही का एक बड़ा नमूना है।

अब सुरक्षा और सुधार के अलावा कुछ नहीं हो सकता है। सड़क की सतह को कुछ दूरी से खोदकर स्टेशन के नीचे की ऊंचाई नियमानुसार की जानी चाहिए, जिससे कि तेज रफ्तार से आने वाले वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका खत्म हो जाए। वर्षा का जलभराव सड़क की गहराई अधिक होने से निश्चित रूप से होगा तो यहां पर निकासी के बेहतर प्रबंध किए जाने चाहिए।